कितने दफे लिखे और मिटाए
दिल में उपजी हलचल को शब्दों में बया करना था,
काम आसान था
पर मुझे इस बात को आसान बोलना ही इतना कठिन लग गया
तो सोचा बोल नहीं पा रहा तो लिख ही दूँ
एक कागज का पन्ना ले आया और उसपे अपनी मचलती हलचल को उकेरने के लिए कलम।
लिखने के लिए कलम पकड़ा तो सही
पर हाथ ऐसा कपकपाया
कि पहली दफा में मैं लिख ना पाया
और धड़कने तो ऐसी बढ़ी
मानो प्रकाश की गति भी धीमी पड़ गई हो।
फिर भी संभाला दिल को, उल्लू बनाया
बोला, एक पंक्ति ही तो है पगले
इतना क्यों डर रहा है।
कुछ देर बाद-
संभला, कलम पकड़ा और पहला अक्षर बनाया ।
जाने कैसे कह लेते हैं लोग
इन प्यारी मचलती हलचलों को उन तीन प्यारे शब्दों में
समझ में ना आया फिर भी मैंने दूसरा अक्षर बनाया ।
और तीसरा अक्षर बनाने में तो जान ही निकलते-निकलते बची।
अब बारी था उस अक्षर का जिसने ही सारा ये भूकंप मचाया
मेरे इस मासूम से दिल के दरवाजे पर तूफान लाया ।
लिखूँ? ना लिखूँ ?
क्या लिखूँ ?
इसमें ही पाँच मिनट लगाया
आखिर पहली दफा इजहार जो कर रहा था ।
उनसे ना सही
पर अपने जज्बातों को दिल से बाहर आने का द्वार तो दे रहा था ।
काम आसान था
पर मुझे इस बात को आसान बोलना ही इतना कठिन लग गया
तो सोचा बोल नहीं पा रहा तो लिख ही दूँ
एक कागज का पन्ना ले आया और उसपे अपनी मचलती हलचल को उकेरने के लिए कलम।
लिखने के लिए कलम पकड़ा तो सही
पर हाथ ऐसा कपकपाया
कि पहली दफा में मैं लिख ना पाया
और धड़कने तो ऐसी बढ़ी
मानो प्रकाश की गति भी धीमी पड़ गई हो।
फिर भी संभाला दिल को, उल्लू बनाया
बोला, एक पंक्ति ही तो है पगले
इतना क्यों डर रहा है।
कुछ देर बाद-
संभला, कलम पकड़ा और पहला अक्षर बनाया ।
जाने कैसे कह लेते हैं लोग
इन प्यारी मचलती हलचलों को उन तीन प्यारे शब्दों में
समझ में ना आया फिर भी मैंने दूसरा अक्षर बनाया ।
और तीसरा अक्षर बनाने में तो जान ही निकलते-निकलते बची।
अब बारी था उस अक्षर का जिसने ही सारा ये भूकंप मचाया
मेरे इस मासूम से दिल के दरवाजे पर तूफान लाया ।
लिखूँ? ना लिखूँ ?
क्या लिखूँ ?
इसमें ही पाँच मिनट लगाया
आखिर पहली दफा इजहार जो कर रहा था ।
उनसे ना सही
पर अपने जज्बातों को दिल से बाहर आने का द्वार तो दे रहा था ।
पर ये क्या!
मिटा दिया मैंने उन अक्षरों को भी
डर गया मैं उन तीन शब्दों का भार देखकर ।
चौथा अक्षर लिख देता तो जाने क्या ही होता,
मेरी बला से ।
गहरी साँस लिया और दिल को राहत दिया
लेकिन फिर मैंने नादान-ए-दिल से कहा-
मत रुक ऐ-दिलकशी
आज इन पन्नों से तो बेरुखी ना कर
बोल दे इनसे
ये तुझसे तर्क नहीं करेंगे ।
और ये तो प्यार था जनाब
कहा रह पाया है आजतक किसी की बंदिश में
जज्बातों, नज़रों ने तो पहले ही तोड़ लिया था बंधन
बस जुबां ही रह गई थी
पर अब शायद वो भी फिसलने ही वाली थी ।
कुछ देर रुका
गहरी साँस लिया ।
फिर अचानक मन में आया कि लिख ही दूँ अब तो
बता दूँ कि - "हाँ तुम ही हो"
कलम पकड़ा और फिर से लिखा तो सही,
पर फिर वही बात ।
मिटा दिया मैंने फिर से
ना जाने क्यूँ?
किस बात का डर था, कैसी उलझनें
कैसी खुद की खुद-से झड़प ।
ये सिलसिला ना जाने कितने दफा ही चला
ना जाने कितने दफे लिखे और मिटाए
अपने जज्बातों को हर बार दफनाए।
पर आप तो जानते ही हो
प्यार बंदिश में कब रह पाया है।
जब लफ्ज कमजोर पड़े
तो आँखों से ही बह आया है।
मिटा दिया मैंने उन अक्षरों को भी
डर गया मैं उन तीन शब्दों का भार देखकर ।
चौथा अक्षर लिख देता तो जाने क्या ही होता,
मेरी बला से ।
गहरी साँस लिया और दिल को राहत दिया
लेकिन फिर मैंने नादान-ए-दिल से कहा-
मत रुक ऐ-दिलकशी
आज इन पन्नों से तो बेरुखी ना कर
बोल दे इनसे
ये तुझसे तर्क नहीं करेंगे ।
और ये तो प्यार था जनाब
कहा रह पाया है आजतक किसी की बंदिश में
जज्बातों, नज़रों ने तो पहले ही तोड़ लिया था बंधन
बस जुबां ही रह गई थी
पर अब शायद वो भी फिसलने ही वाली थी ।
कुछ देर रुका
गहरी साँस लिया ।
फिर अचानक मन में आया कि लिख ही दूँ अब तो
बता दूँ कि - "हाँ तुम ही हो"
कलम पकड़ा और फिर से लिखा तो सही,
पर फिर वही बात ।
मिटा दिया मैंने फिर से
ना जाने क्यूँ?
किस बात का डर था, कैसी उलझनें
कैसी खुद की खुद-से झड़प ।
ये सिलसिला ना जाने कितने दफा ही चला
ना जाने कितने दफे लिखे और मिटाए
अपने जज्बातों को हर बार दफनाए।
पर आप तो जानते ही हो
प्यार बंदिश में कब रह पाया है।
जब लफ्ज कमजोर पड़े
तो आँखों से ही बह आया है।
Awesome lines.Love it..🤗🤗
ReplyDeleteThank you 🤗🤗
DeleteKuchh baatein hokar bhi nhi hoti.
ReplyDeletePhir bhi unka hona hi laziz hota h.
Jo chiz dusre nhi smjh pate
Usse likh Dena hi achha hota h.
Somethings are theoretically exsit but
Practically not possible.
True
Deleteछुपे छुपे से रहते हैं सरेआम नहीं हुआ करते,
ReplyDeleteकुछ रिश्ते बस एहसास होते हैं उनके नाम नहीं हुआ करते !!
Awsm li9s
ReplyDeleteThank you🤗🤗
Deleteजज्बातों और अल्फ़ाज़ों की दिलकश मेल।
ReplyDeleteअच्छी शुरुवात।
Thank you😊😊
Delete👏👏Bola ki ni finally tune😉Samjh to gya hi hoga teri aankho se😍awsm lines Hotty❤️
ReplyDeleteImaginary world, you know!!!!😉😉
DeleteBy the way...Thank u nidhii😍
This comment has been removed by the author.
DeleteHahahha
Deleteआपने जो किया बयां,
ReplyDeleteवो बात दिल को लगी।
आपके बहते अश्कों से,
दिल को हुई दिल्लगी।।
Adorable lines Didi 😍
It's being so exciting to go through these lines😍😍😍
Thank you 🤗
DeleteWo khambhakt si yaadein hain
ReplyDeleteBas teri hi baatein hain
Jo sab se main karta hoon
Bas tujhse hi kehne se darta hoon
Wo muda jo chehra hai
duriyo ka jo pehra hai
Ye jo Andheri si raatein hain
Hona kab inka saveera hain.....
I'M NOT A POET I JUST WROTE THIS WHEN I WAS UNABLE TO TALK TO HER EVEN WHEN SHE WAS WITH ME FOR 23 HRS
HOPE U WILL LIKE IT
Woahh...
DeleteImpressive!!!
I guess, you should to mention your name...
Anyways THANK you for coming on this blog page🤗
Wow...your writing skill is amazing...
ReplyDeleteKeep it up...
I'm trying my best.
DeleteAmazing 😍
DeleteMahakal status
ReplyDeleteThe sama post
ReplyDeleteNice post Srishti
ReplyDeleteGood Luck
Nice Shayari
ReplyDeleteRepublic Day Wishing Script 2020
Nice 👍keep it
ReplyDeleteGreat lines...��
ReplyDeleteThanks😊
Deletenice article love it
ReplyDeleteWell written and beautifully presented..👌🏻👌🏻👍🏻
ReplyDeleteThanks🤗
DeletePratibhashali prastutikaran...
ReplyDeleteDhanyawad🤗
DeleteBahut sunde likha hai srishi Singh Apne
ReplyDeletebahut pyara likhti hai aap
सुन्दर भाव🌼
ReplyDeleteधन्यवाद।
Deleteबहुत ही अच्छा लेखन शैली, आप तो कवियित्री ही हो। 👍
ReplyDeleteधन्यवाद आपका।
DeleteAwesome 👍
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